लेखन

WRITING

लेखन कौशल क्या है?

भाषा के चार कौशलों में से एक है 'लेखन'। भाषा के चार कौशल है - लिखना, पढ़ना, बोलना और सुनना। लिखना और बोलना 'अभिव्यक्ति-कौशल' है तो पढ़ना और सुनना 'ग्रहण-कौशल' है। जब व्यक्ति कुछ कहना चाहता है तब वह लिखता है। हम कुछ लिखते है, तब उसमें किसी के लिए दिया गया 'संदेश' होता है। भाषा का उदय ही संदेश भेजने के लिए हुआ है। जब हम वर्णों को शब्दों में या वाक्यों में जोड़ते हैं तब उसके द्वारा संदेश पहुँचाने का काम पूर्ण होता है। क्या आपने हालही में कुछ लिखा है? हो सकता है आपने 'खरीद-सूची' बनायी हो या 'बधाई-पत्र' लिखा हो, कुछ परिचितों को 'ईमेल' लिखा हो या फिर 'डायरी' लिखी हो या क्लास में 'निंबध' लिखा हो।ये सभी लेखन के विभिन्न प्रकार हैं।यदि आप ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि इस सूची में जो लेखन-प्रकार हैं वह एक शब्द से लेकर एक वाक्य, नोट्स लिखना, अनुच्छेद लिखना तथा भिन्न-प्रारूप के है।

जब हम लिखते हैं तब लेखन की सारी विशेषताओं को ध्यान में रखकर ही हमें लिखना पड़ता है। लेखन का कोई भी प्रारूप हो, उसमें दो बातें आम होती है- एक है, विशेष संदेश देना और दूसरा है किसी के लिए लिखना। हम क्या लिखें? और कैसे लिखें? इसका निर्णय 'संदेश' तथा 'पाठक' निर्धारित करता है।

लेखन के अनेक 'उपकौशल' हैं। कुछ विशुद्धता से जुड़े होते हैं। उदा. शुद्ध वर्तनी,सही विरामचिह्नों का प्रयोग, सही प्रारूप, सही शब्दों का इस्तेमाल, व्याकरण नियम, सही वाक्यों का जोड़ तथा अनुच्छेद आदि बातें ध्यान में रखकर हमें लिखना पड़ता है। इन उपकौशलों के साथ ही हम अपने विचारों को संघटित रूप में तथा सुयोग्य-शैली के साथ प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि आप 'लेखन-कौशल' हासिल करना चाहते हैं तो उस भाषा मॆं लिखा हुआ अच्छा 'साहित्य' (literature) पढ़िए तथा प्रतिदिन कुछ लिखें।