आलेख
अमरूद स्वाद में तो लाजवाब होता ही है, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह उपयोगी फल है। पौष्टिकता से भरपूर अमरूद को संस्कृत में अमृतफल कहते हैं।
अमरूद का पेड़ तीन से दस मीटर तक ऊँचा बारहों महीने हराभरा रहने वाला पेड़ है। पेड़ का तना काफी पतला होता है और उपर की हरी-भूरी खाल बीच-बीच में छिलती नज़र आती है। नई निकली छोटी-छोटी टहनियों पर पत्तों के पास सफेद रंग के फूल कहीं एक तो कहीं २-३ फूलों के गुच्छे में नज़र आते है। अमरूद का फल कभी गोल, कभी हल्का-सा लम्बा होता है। अमरूद का छिलका एकदम पतला हरे पीले रंग का होता है और अंदर का गूदा मुलायम और दानेदार होता है। इस गूदे में अन्दर फल के बीचोबीच सख्त बीज होते हैं। कुछ अलग जाति के अमरूद बीजरहित भी होते हैं। अलग-अलग जातियों के अमरूद का स्वाद भी अलग होता है।
अमरूद ४-५ दिन तक ताज़े रहते हैं लेकिन यदि फ्रिज में रखेंगे तो १०-१२ दिन तक अच्छे रहते हैं। अमरूद कभी छीलकर खाना नहीं चाहिए क्यों कि इनमें विटामिन सी काफी मात्रा में होता है जो दांतों और मसूढे के रोगों तथा जोड़ों के दर्द में बहुत ही उपयोगी है। पके हुए १०० ग्राम अमरूद से हमें १५२ मि. ग्रा. विटामिन सी, ७ ग्राम पाचनक्रिया में सहायक रेशे, ३३ मि. ग्रा. कैल्शियम और १ मि. ग्रा. लोहा प्राप्त होता है। साथ ही इसमें फॉस्फोरस और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर को पुष्ट बनाती है। अमरूद के पेड़ की जड़े, तने, पत्ते सभी दवा बनाने में काम आते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार अमरूद कसैला, मधुर, खट्टा, तीक्ष्ण, बलवर्धक, उन्मादनाशक, त्रिदोषनाशक, दाह और बेहोशी को नष्ट करने वाला है। बच्चों के लिए भी यह पौष्टिक व संतुलित आहार है। अमरूद से स्नायु-मंडल, पाचन संस्थान, हृदय तथा दिमाग को बल मिलता है।
साभार : http://www.abhivyakti-hindi.org/ss/amrood.htm